Monday, October 6, 2008

मस्ती की पाठशाला में भटकता युवा मन

मुंबई में रेव पार्टी में 231 युवाओं का पकड़े जाना एक खबर मात्र नहीं एक ऐसा सच है जो यह बताता है कि देश की युवा पीढ़ी किस कदर भटकाव की राह पर है। एक ऐसा सच जिसको कोई भी मां बाप सुनना पसंद नहीं करेगा कि उसका बेटा या बेटी ड्रग्स के सेवन का आदि हो गया है। लेकिन इसके लिए दोषी कौन है? यह एक ऐसा यक्ष प्रश्न है जिसका जबाब कोई एक नही हो सकता।
आप यह कहकर नहीं बच सकते कि यह अमीर घरानों के लड़को और लड़कियों में होता है या फिर यह कहकर की बच्चों के लालन पालन में कमी रह गई। एक हद तक यह सच हो सकता लेकिन यह पूरा सच नहीं है ग्लोबल संसार में पाश्चात्य सस्कृति अब भारतीय संस्कारों पर हावी हो रहीं है और देश की युवा पीढ़ी भटकाव की राह पर है। आप जरा बॉलीवुड की फिल्मों को देखिए, छोटे परदे पर क्या चल रहा है आप वहां देखिए और कंप्यूटर क्रांति ने बच्चों का संसार बदल दिया है जहां बहुत कुछ अच्छा है तो भटकाव के उतने ही खुले रास्ते। ओपेन मांइड होने के चक्कर में बालमन कब रास्ता भटक जाता है इसकी भनक ना तो बच्चे को चलती है और ना ही उनके मां बाप को और जब सच सामने आता है तो वह कुछ इसी रेव पार्टी की तरह होता है।
दरअसल यह एक पल में गुमराह होने वाली बात नहीं है एक लंबा समय बच्चों के मानस पटल पर किसी बात का बार बार पड़ता है तब जाकर वह कहीं नशे की तरफ जाता है। 18 या 19 साल का टीन एज युवा नशे की तरफ जाता है या समय से पहले सेक्स संबंधों में सलंग्न पाया जाता है तो देश में हाय तौबा मचाई जाती है दरअसल इस टीनएज युवा को दोष देना ही गलत है। भूल करने वाली उम्र में अगर सही मार्गदर्शन ना मिले तो ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है। इसलिए उम्र को दोष ना देकर उस माहौल को बदलने की जरूरत है जिसके कारण युवा पीढ़ी भटकाव के रास्ते पर जा रही है।